Sanskrit Quotes On Death

Sanskrit Quotes On Death

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।

हिंदी अनुवाद
जन्मने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है; इसलिए
जो अटल है अपरिहार्य – है उसके विषय में तुमको शोक नहीं करना चाहिये।।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।

हिंदी अनुवाद
सम्यक् प्रकार से अनुष्ठित परधर्म की अपेक्षा गुणरहित स्वधर्म का पालन श्रेयष्कर है;
स्वधर्म में मरण कल्याणकारक है (किन्तु) परधर्म भय को देने वाला है।।

अमृतं चैव मृत्युश्च द्वयं देहे प्रतिष्ठितम्।
मोहादापद्यते मृत्युः सत्येनापद्यतेऽमृतम्॥

हिंदी अनुवाद
अमरता और मृत्यु दोनों एक ही शरीर में निवास करती हैं,
मोह से मृत्यु प्राप्त होती है और सत्य से अमरत्व ।।

न जायते म्रियते वा कदाचि न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।

हिंदी अनुवाद
यह आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है।
यह आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।।

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति।।

हिंदी अनुवाद
जैसे इस देह में देही जीवात्मा की कुमार, युवा और वृद्धावस्था होती है,
वैसे ही उसको अन्य शरीर की प्राप्ति होती है; धीर पुरुष इसमें मोहित नहीं होता है।।

य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।

हिंदी अनुवाद
जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसको मरा समझता है
वे दोनों ही नहीं जानते हैं, क्योंकि यह आत्मा न मरता है और न मारा जाता है।।

इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः।
मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः।।

हिंदी अनुवाद
(शरीर से) परे (श्रेष्ठ) इन्द्रियाँ कही जाती हैं; इन्द्रियों से परे मन है
और मन से परे बुद्धि है, और जो बुद्धि से भी परे है, वह है आत्मा।।

ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ॥

हिंदी अनुवाद
मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।
मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो।
मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो॥

“मा कुरु धनजनयौवनगर्वं हरति निमेषात्कालः सर्वम्।
मायामयमिदमखिलं हित्वा ब्रह्मपदं त्वं प्रविश विदित्वा॥“

हिंदी अनुवाद
“धन, जन, और यौवन पर घमण्ड मत करो; काल इन्हें पल में छीन लेता है।
इस माया को छोड़ कर इस ज्ञान से ब्रह्मपद में प्रवेश करो।“

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥

हिंदी अनुवाद
किसी भी शस्त्र द्वारा आत्मा के टुकड़े नहीं किए जा सकते, न ही अग्नि आत्मा को जला सकती है,
न ही जल द्वारा उसे गीला किया जा सकता है और न ही वायु इसे सुखा सकती है।

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

हिंदी अनुवाद
जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है,
वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है।।

कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।

हिंदी अनुवाद
बुद्धियोग युक्त मनीषी लोग कर्मजन्य फलों को त्यागकर
जन्मरूप बन्धन से मुक्त हुये अनामय अर्थात् निर्दोष पद को प्राप्त होते हैं।।

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

हिंदी अनुवाद
जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है,
वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है।।

प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताऽहमिति मन्यते।।

हिंदी अनुवाद
सम्पूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं,
अहंकार से मोहित हुआ पुरुष, “मैं कर्ता हूँ” ऐसा मान लेता है।।

कुसुम-सधर्माणि हि योषितः सुकुमार-उपक्रमाः।
ताः तु अनधिगत-विश्वासैः प्रसभम् उपक्रम्यमाणाः
संप्रयाग-द्वेषिण्यः भवन्ति। तस्मात् साम्ना एव उपचरेत्॥

हिंदी अनुवाद
औरतें फूलों की तरह होती हैं, इसलिए उनके साथ बहुत ही कोमलता से पेश आना चाहिए।
जब तक पत्नी के मन में पति पर पूर्ण विश्वास न हो, तब तक कोई भी कार्य जबरन नहीं करना चाहिए।

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